Monday 22 October 2012

==क्यों देखते हो नारी की सुन्दरता ==


हमारी हर लेखनी पर क्यों बवाल कर देते हो
                  खामख्वाह हम पर ही क्यों सवाल कर देते हो ...सविता मिश्रा


क्यों देखते हो नारी की सुन्दरता
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क्यों देखते हो नारी की सुन्दरता
नारी की सुन्दरता
उसका मेकअप उसका काजल
उसकी लहराती जुल्फों में
क्यों खोने की होती है लालसा
क्यों राह चलती लडकियों को
पलट-पलट कर बार-बार
अपनी घातक नजरें गड़ाते हो
क्यों पान करते हो उसका
सौन्दर्य अपनी नजरों से ही
क्यों सीटी बज जाती है तुम्हारी
राह चलती कुंवारियों पर
क्यों सड़कों पर चौराहों पर
शिक्षा-संस्थानों पर यहाँ तक की
ओ बेशर्म पुरुष अस्पतालों में भी
खड़े हो अपने को हीरो समझ
आती-जाती लडकियों पर
करते हो भद्दे-भद्दे कमेन्ट
क्यों तुमको लाज नहीं आती है
क्या तुम्हारी अपनी माँ बहन
उस वक्त नहीं याद आती है
तुम हर नारी में दुर्गा
सीता ,लक्ष्मीबाई, आपला,घोषा
को क्यों नहीं देख पाते हो
नजरों को बदलो नजरिया
खुद-ब-खुद बदल जायेगा
नारी सौन्दर्य की मूर्ति नहीं
विद्वता की खान दिखेगीं
तब सीटी बजाना भूल
हर नारी को प्रणाम करते नजर आओगें
यूँ चौराहों पर ताड़ते नजरों से नहीं
बल्कि कोई महत्वपूर्ण कार्य
करते खुद को पाओगें |सविता मिश्रा

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