फूलों से बहुत प्यार था पर काँटों से डरतें थे
फूल की चाहत में दिल में कई नासूर पलते थे
नासूरों का क्या करेगें अब सोच कर भी डरतें है
अब तो डर के मारे फूलों को भी दूर से ही परखतें है ...सविता
अहम्
====
हम झुके ना थे किसी के आगे
आज झुके तो टूट गए,
टूट कर बिखरे ही थे कि
लोग पैरों से रौंद चल दिए |
सविता मिश्रा —
फूल की चाहत में दिल में कई नासूर पलते थे
नासूरों का क्या करेगें अब सोच कर भी डरतें है
अब तो डर के मारे फूलों को भी दूर से ही परखतें है ...सविता
अहम्
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हम झुके ना थे किसी के आगे
आज झुके तो टूट गए,
टूट कर बिखरे ही थे कि
लोग पैरों से रौंद चल दिए |
सविता मिश्रा —
4 comments:
वाह ....
dhanyvaad guruji ..pranaam
bahot hi sundar.......lajawab didi :)
dhanyvaad jyati sis ....
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