Sunday 16 December 2012

बेटी हो तो ऐसे क्यों -?





बेटी हो बेटे के पहले
नहीं भोजन किया करो|
उसके उठने से पहले उसके
चाय नाश्ते की   तैयारीं कर दिया करो |

चूल्हा चौका कर घर की
सफाई किया करो
तुम्हें  पुस्तक की क्या जरुरत
भईया को वो दिया करो |

पढ़ लिख कर लार्ड गवर्नर
नहीं बन जाओगी
चूल्हा चौका सीखोगी तो
अच्छा घर वर पाओगी|

काम पियारा होता है
चाम नहीं होता पियारा
पढ़ लिख कर भी
नहीं होगा तुम्हारा वारा -न्यारा |

घर के बाहर निकलोगी तो
आँखे चार गड़ जायेगी
मौका मिलते ही तुम्हें
वो नोंच घसोट जायेगी |

भईया से पहले ही
तेरा व्याह रचाऊँगी
वरना भाभी तुझें
तानें चार सुनाएगी |

काम धाम सब सींख जाओगी
तो काम वही आयेगीं
भोजन पकाना नहीं आया
तो सास दस बात सुनाएगी |

बेटी हो बेटे से ज्यादा बिनम्र हुआ करो,
क्रोध का त्याग कर लज्जा धारण किया करो |


   ++सविता मिश्रा ++

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