Sunday 3 February 2013

~~जब माँ बनेगीं ~~

माँ आज तेरी बहुत याद आ रही है
समझाती
तू हमको  हर वक्त
नहीं समझती थी  मैं
तुझ पर ही चिल्ला पड़ती थी
याद है हमको तू कहती थी कि
जब माँ बनेगीं तब समझेगी
देखो ना माँ आज मैं भी
एक सयानी बेटी की
माँ बन गयी हूँ
अब मैं भी तुझ सा ही चिल्लाती हूँ
यह ना कर वह ना कर
ऐसे उठ वैसे बैठ,
इधर उधर ताका -झांकी मत कर
धीमी आवाज में बोला कर
नजरें झुका कर चला कर
चार लड़को के बीच में मत बैठा कर
यूँ
हर वक्त ही ही ही मत किया कर 
स्कर्ट -मिडी
मत पहना कर 
सलवार-
सूट पहना कर
बिना दुप्पट्टे के मत रहा कर
देख रही हैं ना माँ
सब तुझ सा ही व्योहार
मैं करने लग  गयी हूँ
मेरी भी बिटिया मुझ सा ही कर रही है
मैंने तो तुझको कभी नहीं कहा  था कि
माँ जमाना बदल गया है
मेरी बिटिया तो कहने लग गयी है कि
माँ वह
पूराना जमाना नहीं है अब
यह नया जमाना है
अब सब फैशन में है
देख रही है ना माँ
मैं तो तुझ सा ही हुबहूँ बन गयी
पर मेरी बिटिया मुझ सा
नहीं बन पायी
वह नए जमाने की हो गयी है

नहीं कहा
कभी
मैंने तुझे पूराने जमाने की
वह मुझे पूराने जमाने की भी कह रही है||...सविता मिश्रा

2 comments:

Anonymous said...

बहुत ही अच्छी ..............................

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

शुक्रिया आपका