Wednesday 9 October 2013

## बेटे एवं बेटी के बीच की खाई ##

आगे कुआँ पीछे है खाई ,
क्यों मतभेद करती हो माई |
मैं तो अभी नन्ही सी कली हूँ ,
तेरे ही गोदी में मैं पली-बढ़ी हूँ |
भैया को देती हो रोज दूध-मलाई ,
मुझे तो तुने हमेशा ही सुखी रोटी पकड़ाई ,
भैया तो राज-दुलारा ,आँखों का तारा ,
प्यार लुटाती हो उस पर ही सारा का सारा |
कुछ तो मुझे भी समझ ले मैया ,
ना तू मुझ से दुर्व्योहार कर ओ मेरी मैया |
एक दिन जब चली जाऊँगी घर से तेरे ,
याद आयेगे तुझे काम सब मेरे |

नहीं देगी
बहू तुझे एक गिलास
भी जब पानी ,
तब बहुत ही याद आऊँगी मैं यह बात जानी |
रोयेगी तब बहुत ही पछताऐगी,
पर मेरे दिल के घाव कैसे भर पाऐगी |
अतः जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी  माई ,
बेटे एवं बेटी के बीच की पाट ले खाई|

||सविता मिश्रा ||


६/५/2012

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