Monday 25 November 2013

लकीर हाथों की


मेरे पति देव
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सब हाथ की लकीरों में ढूढ़ते रहे

तुम दिल में हमारे बसे बैठे रहे
इन्तजा है तुमसे हमारी दिल से तुम

हाथों की लकीरों में भी दिखने लगों
जैसे लोग भ्रम में जीना छोड़ दे
और
तुझे लकीरों में देख हाथो की
हमारी किस्मत पर ईष्या करे||....
.सविता मिश्रा

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

हाथों की लकीरों में वो हों जब ... किस्मत भी उन से बंध जाती है ...

संजय भास्‍कर said...

किस्मत बंध जाती है ....लकीरों में