हम
भारतीय छले जाने पर भी फिर से छलने को तैयार रहते हैं यह हमारी उदारता है
या मूर्खता हमारी ..पर गर्व होता है कभी कभी क्योंकि इसी आदत के चलते तो हम सब इंसान दूसरों से प्यार करते हैं जबकि कहीं न कहीं एक मन डरता भी है कि कहीं धोखा तो नहीं खा
जायेगें क्योंकि इंसानी फितरत बखूबी जानते है....
धोखा देना इंसानों की फितरत है
धोखा खाना हमारी पड़ी आदत है
इस खाने और देने के हुजूम में
किसी को कोई नहीं दिक्कत है
तू कर हम आते हैं पीछे-पीछे
अब तो ऐसी ही दिली चाहत है |..सविता ..
मन जिधर कहें उधर मारो ठप्पा
कांग्रेस-सपा-बसपा या हो भाजपा
मन से अपने मन की सुनना
फिर उसको मन से ही गुनना
मन खुद ही चीख बोल उठेगा
भला अपना न देख खून खौल उठेगा
गुनने को समय कम ही बचा है
वोट ना देना भी तो एक खता है
वोट देकर आओ सब ही इसबार
नोटा ही दबाना पड़े चाहे यार | सविता
धोखा देना इंसानों की फितरत है
धोखा खाना हमारी पड़ी आदत है
इस खाने और देने के हुजूम में
किसी को कोई नहीं दिक्कत है
तू कर हम आते हैं पीछे-पीछे
अब तो ऐसी ही दिली चाहत है |..सविता ..
मन जिधर कहें उधर मारो ठप्पा
कांग्रेस-सपा-बसपा या हो भाजपा
मन से अपने मन की सुनना
फिर उसको मन से ही गुनना
मन खुद ही चीख बोल उठेगा
भला अपना न देख खून खौल उठेगा
गुनने को समय कम ही बचा है
वोट ना देना भी तो एक खता है
वोट देकर आओ सब ही इसबार
नोटा ही दबाना पड़े चाहे यार | सविता