Friday 25 April 2014

हायकु

१..मिट्टी घट थे
निखारा होता गर
आसमा छूते |

२..कृतज्ञ बनें
मानो तो मात-पिता
गुरु से बड़े |

३...गुस्सा काहे का
उपजा दूजे सुख
मन का भ्रम |

४.... 
दर्द  बदले

गुलदस्ता प्यार का
दुआ के साथ |

५...दर्द अपार
अपना दूर कहीं
इच्छा मिलन |

६...सामंजस्य से
चले जीवन पथ
बने जीवन |

७...गप्प-मार ही
समाज सुधारक
बने विकट |


८..दोषी औरत
ठहराते आदमी
कमी छुपाते |

९..तगड़ी धूप

सहना नियती है
नारी जीवन |


१०..धूप प्रखर
निखरता जीवन
साँझ पहर |.
.सविता मिश्रा 'अक्षजा'

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