Friday 25 July 2014

नींव की ईट (kahani)


                                              नींव की ईंट

श्याम बहुत ही होनहार छात्र था | सभी शिक्षक उसकी बहुत ज्यादा तारीफ़ किया करते थे पेरेंट्स-टीचर मींटिंग में जब माँ-बाप अपने बेटे की तारीफ़ शिक्षकों के मुख से सुनते थे तो उनका सीना ख़ुशी से फूल जाता था | वह कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक अव्वल आता रहा था | कक्षा का कोई भी विद्धार्थी उससे ज्यादा नम्बर लाना तो दूर, उसके आस-पास भी नहीं ठहरता था | वह अस्सी परसेंट से प्रथम आता तो उसकी कक्षा के और बच्चे पैंसठ प्रतिशत के जरा इधर- जरा उधर आकर ठहर जाते थे | धीरे-धीरे समय बीतता रहा था और माता-पिता के दिमाग में बेटे की तारीफ़ों के पुलिंदों का वजन बढ़ता रहा
अब श्याम के कक्षा नौ की त्रिमासिक परीक्षा नजदीक आ गयी थी । माँ नीलू को उस पर बहुत भरोसा था | अतः वह ज्यादा ध्यान नहीं देती थी
 | राजेश जब कभी पढ़ने के लिए टोकता तो वह उससे अक्सर कहती थी "बच्चा है! खेलने-खाने की उम्र हैज्यादा पढ़ाई पर जोर मत दिया करिए | अपने मन से पढ़कर क्लास में फस्ट तो आता ही है , फिर क्यों बार-बार उसे पिंच करते रहते हैं |"
कक्षा आठ में ही उसके क्लास में टॉप करने से खुश हो राजेश ने एक मोबाइल उपहार में दे दिया था जब कभी एक्स्ट्रा क्लासेस के लिए रुके या कोचिंग में देर हो तो माँ को खबर कर दे | या फिर पढ़ाई के विषय में दोस्तों से राय बात करनी हो तो मोबाइल जरुरी हो जाता है | यह सब समझकर मोबाइल उसके हाथ में रखकर उसकी आँखों की चमक में उन्होंने उसके भविष्य की चमक का आभास करना चाहा था | लेकिन मोबाइल को खोलकर उसकी एप देखने की ख़ुशी में श्याम की आँखे राजेश के चेहरे से हटकर मोबाइल स्क्रीन की चमक में खो गयी थी |
वह अपनी मेहनत जारी रक्खेगा इस विश्वास पर राजेश ने मोबाइल दे तो दिया था लेकिन
 वह भटक भी सकता है,  यह बात उनके दिमाग़ में आयी ही नहीं थी | माता-पिता जब भी श्याम के कमरे में देखते थे तो श्याम उन्हें किताबों में खोया हुआ ही दिखता था | उसकी लगन और मेहनत को देखकर माता-पिता आश्वस्त थे कि इस बार भी कक्षा में टॉप करेगा उनका बेटा | पर उन्हें क्या पता था कि श्याम तो असल में उन्हें धोखा दे रहा है | उनकी नजर बचाकर  वह ह्वाट्सएप पर चैटिंग और गेम खेलने में ही लगा रहता है | स्कूल से घर, घर से कोंचिंग | कोचिंग से आते ही अपने कमरे में पैक हो जाता था श्याम | कोचिंग जा रहा या नहीं इसकी भी कभी भी पूछताछ नहीं की राजेश ने |

समय तितली-सा उड़ता गया | परीक्षा की घड़ी नजदीक आ गयी | माँ को तो सपने में भी टीचरों के मुख से श्याम की वाहवाही करने की आवाज़ें गूँजने लगी थी | जब कभी कमरे की ओर किसी काम को कहने जाती तो उसे दरवाजे की ओर पीठ किए पढ़ता हुआ देखकर उलटे पैर वापस हो लेती थी | उसे यकीं हो चला था कि हो-न-हो उसका लाड़ला सबको इस बारी भी मात दे देगा |
परीक्षा हो चुकी थी | राजेश श्याम के कमरे में घुसा तो वह फैली किताबों के बीच उकडू बैठा था | राजेश ने पीछे से आवाज़ दी “ अरे बेटा अब तो दो-चार दिन किताबों को छोड़ दो | तुम तो बिलकुल किताबों में ही खोये रहते हो |”
पिता की आवाज़ सुनकर श्याम हड़बड़ा गया |
“मुझे पता है तुमने खूब मेहनत से पढ़ाई की है, परिणाम पक्का सुखद होगा |”
“जी पापा..!” सहमी सी आवाज़ में बोला था श्याम | पिता के जाते ही किताब के नीचे दबाकर रखा मोबाइल निकालकर उसने चैटिंग में बाय लिखकर बंद कर दिया मोबाइल |
रिजल्ट निकलने का दिन आ गया था | माता-पिता बड़े गर्व से छप्पन इंच का सीना लेकर रिजल्ट लेने स्कूल में पहुँचे थे | लेकिन इस बार सब उल्टा हुआ था | स्कूल में पहुँचते ही शिक्षकों ने शिकायतों का पुलिंदा जैसे उनके लिए तैयार ही रखा था|
 एक -एक कर सभी शिक्षकों ने श्याम की शिकायत कर डाली थी और हिदायत दी कि “आप श्याम पर अधिक ध्यान दीजिए |  बढ़ता हुआ बच्चा हैहाथ से निकल गया तो बहुत मुसीबत होगी आपको | आपके ही भले के लिये कह रहे हैं हम सब, कृपया बुरा नहीं मानियेगा |”
गणित के शिक्षक ने कहा, “आखिर इतने अधिक होनहार छात्र को ऐसा क्या हुआ कि हर सब्जेक्ट में पहले से आधे नम्बर भी नहीं ला पाया है इसबार | अगले साल बोर्ड की परीक्षा है | हमें तो उससे बड़ी उम्मीद थी कि वह आपके साथ-साथ हमारे स्कूल का भी नाम रोशन करेगा | किन्तु ..!”
“कड़ी निगरानी रखिए उसपर| प्यार से समझाइये उसे | आखिर कौन-सा अपनी बर्बादी का अस्त्र उसने उठा लिया है | जितनी जल्दी हो सकें उसे उस अस्त्र-शस्त्र से उसे मुक्त करिये, वरना हाथ मलते रह जायेंगे |” क्लास-टीचर ने बड़े दुखी मन से कहकर हाथ में रिजल्ट पकड़ा दिया |
राजेश को शिक्षकों से अपने बेटे के बारे में सुनकर आश्चर्य हो रहा था | उसे लग रहा था ये सब शिक्षक कैसी बातें कर रहे हैं मेरे बेटे के बारे में ! उन्हें हाथ में रिजल्ट लेने की जल्दी होने लगी थी | राजेश की दृष्टी अपने हाथ में आये श्याम के रिजल्ट पर गयी उनके पैरो के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गयी |
 माँ को भी काटो तो जैसे खून ही नहीं | दोनों आवक रह गये | रिजल्ट पर फटी नजरें गड़ी-की-गड़ी रह गयी | श्याम सारे विषयों में फेल था |
राजेश को बिजली का झटका-सा लगा | उसे तुरंत अपनी गलती का अहसास हुआ |
उन्होंने शिक्षक से कहा “आप चिंता न करें ! अगली बार छमाही इम्तहान में मेरा यही बेटा
पहले जैसा नम्बर लाकर के दिखाएगा |”
राजेश क्रोध और शर्म से दोहरा हुआ जा रहा था लेकिन उसे यह भी मालूम था कि बच्चे पर गुस्सा करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा | बल्कि कुछ और जुगत भिड़ानी होगी | यदि अभी नहीं उसे सम्भाल पाए तो फिर तो अगर वह भटककर दूर निकल गया तो वापस आना बड़ा मुश्किल हो जायेगा |
माँ हाथ में रिजल्ट पकड़े सहमी-सी खड़ी थी | राजेश अभी उसपर भड़केंगे | क्रोध करते हुए यह भी नहीं देखेंगे कि वह स्कूल के बाहर खड़े हैं | सामने भीड़ खड़ी है | उसपर अभी वो भीड़ हँसेंगी लेकिन राजेश ने बड़े शांत शब्दों में बोला “ये पैसे लो .! उसकी पसंद की चाकलेट लेकर सड़क की दूसरी छोर पर निकलो | तब तक मैं भीड़ से स्कूटर निकलाकर पहुँचता हूँ |” सुनकर नीलू ने राहत की साँस ली |
माना की मेरी गलती थी मैंने उसे उसके भरोसे पर छोड़ दिया था | लेकिन मुझे क्या पता था कि श्याम मोबाइल का दुरूपयोग नहीं कर रहा बल्कि मेरे विश्वास का दुरूपयोग कर रहा है वह | काश में पढ़ते वक्त उसके कमरे में उसके सामने बैठी उसपर नज़र रखती | लेकिन क्या बच्चों को इतनी कड़ी नजरों की पहरेदारी में पढ़ता हुआ देखना सही है ! नहीं ! नहीं ! कहीं और चुक हुई है | शायद हम दोनों ने उसपर अतिशय भरोसा किया वह भी बर्बादी का अस्त्र अपने ही हाथों से पकड़ाकर | थोड़ी दिन उसका सदुपयोग हो रहा या दुरूपयोग यह देखना चाहिए था | थोड़ा-सा ध्यान देती उसपर तो अवश्य उसकी गलती पकड़ आ जाती | लेकिन ..!
“अरे भई! क्या सोच रही हो ! अब स्कूटर से उतरोगी भी | घर आ गया | और देखो ! तुम उसे अभी कुछ मत बोलना | मैं देखता हूँ ..| मैंने बिगड़ने का रास्ता दिखाया था तो उस रास्ते को मैं ही बंद करूँगा, किसी भी तरह |”
घर में घुसते ही राजेश ने श्याम को बुलाया श्याम डर गया कि आज तो खैर नहीं | पापा बहुत मारेगें |
 थरथर काँपता हुआ वह आकर अपराधी की तरह सिर झुकाए खड़ा हो गया | पर राजेश ने न उसे मारा न ही डांटा | बल्कि उन्होंने तो अपने स्वर को भी मधुर पुराने गीतों में बजते संगीत की तरह रखा | उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं किया जैसा माँ- बेटे को अंदेशा था |  बस पास बुलाकर श्याम को बड़े प्यार से समझाया कि बेटा ! जिन्दगी की राह इसी उम्र में मजबूत होती है | इस उम्र में तुम अपने सुनहले भविष्य में जितनी मजबूत कड़ी लगावोगे भविष्य उतना ही उज्ज्वल होगा | इस कड़ी को कमजोर कर दोगे तोभविष्य की राह बहुत कठिन हो जाएगी बेटा | यूँ समझो कि यही समय नींव की ईंट है | नींव मजबूत तो भविष्य की इमारत अपने आप बुलंद ही होगी | और भटके तो फिर ...जब समझ आएगा तो बहुत देर हो चुकी होगी बेटा | मैंने तो तुम्हारे भले के लिए तुम्हें मोबाइल लेकर दिया था किन्तु तुमने तो अपने भविष्य से नहीं बल्कि मेरे विश्वास से खेला है |” कहने के बाद कमरे में एकबारगी थोड़ी देर के लिए सन्नाटा पसर गया |
सिर झुकाए खड़े हुए श्याम की समझ में पिता की बात आ गयी थी | पिता ने इशारा करके नीलू से चाकलेट माँगा फिर श्याम के हाथ में देते हुए फिर कहा “मुझे उम्मीद है तुम मुझे निराश नहीं करोगे |”
एक हाथ में चाकलेट लेते हुए उसने खुद ही दुसरे हाथ से अपना मोबाइल पापा को देते हुए बोला
, “पापा भटकाव की जड़ यह हैइसे अब आप ही रखिये और जब मैंपढ़ –लिखकर आप की तरह गजटेड अफसर हो जाऊँगा न तो आपसे इससे भी लेटेस्ट अच्छा वाला मोबाइल माँगूंगा |” यह कहने के तुरंत बाद श्याम अपने कमरे में जाकर अपनी पढ़ाई करने जाने लगा |  राजेश ने उसे पुकारा और सीने से लगाकर कहा “आई प्राउड ऑफ़ यूँ ! मुझे गर्व है तुम पर मेरे बच्चे |
“सुबह का भटका हुआ शाम को वापस घर आ जाये तो उसको भटका हुआ नहीं कहते हैं | लो बेटा मेरी ओर से भी एक चाकलेट |” उसकी कामयाबी के प्रति आश्वस्त हो राजेश और नीलू दोनों एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्करा दिए |
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