Friday 20 February 2015

~~बदलाव ~~


आज सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था फिर भी पति को काम पर जाता देख अपने निठल्ले जवान बेटे पर बरस ही पड़ी |
" मुए तू बैठा रोटी तोड़ रहा और तेरे अशक्त बाबा काम पर चले, तू क्यों नहीं जाता | तुझसे तो वह हिंजड़ा लक्ष्मी भली जो हर काम में आगे है | नाम रोशन कर रही है उस माँ-बाप का जो पैदा होते ही उसे त्याग दिए थे| और तूझे पाल पोश बड़ा किया इसके लिय क्या की हाड़ें-गाढ़े भी हमारी लाठी ना बने | सारा दिन पड़ा रहे ये मुआ बक्शा (लैपटाप)लेकर | आज अफ़सोस हो रहा है कि मैं हिंजड़े की माँ क्यों ना हुई | माथा पिटती हुई सरला बोलती ही रही थी
कल तक खुश होती थी पड़ोसी निर्मला की किस्मत पर | परन्तु आज लक्ष्मी को देख उनसे इर्ष्या हो रही है | ये लक्ष्मी मेरी कोख से क्यों न जनी | तेरी साथ की ही जन्मी है उप्पर से ऐसी, फिर भी देख तू गाँव में आवारागर्दी करता है और वह गाँव की प्रधान है|
"आज भाषण सुन आई हो ना अम्मा लक्ष्मी का " कह व्यस्त हो गया अपने लैपटाप में |....सविता मिश्रा

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