Tuesday 24 February 2015

~~ प्यार दो ,मुझे प्यार दो ~~


शिखा को जीवो से बहुत लगाव था |परन्तु अब यही लगाव मुसीबत बनने लगा था |
वैसे तो कुत्ता ,बिल्ली , मछली , तोता और खरगोश कई जानवर पाल रखे थे |
पर मुसीबत का कारण उनमें से दो ही थी |
कुत्ते को पुचकारती , तो बिल्ली म्याऊ-म्याऊ कर गोद में घुसने लगती | कुत्ते को यह देख जलन होती, वह  भौऊ-भौऊ कर पूरा घर सर पर उठा लेता | दोनों को शिखा जब पास बैठा लेती , तो तोता टेरता रहता -- " प्यार दो ,मुझे प्यार दो | "
जाहिर है ऐसा गाना सुन शिखा खिलखिला पड़ती | मिटठू  मेरा
मिटठू कह वह तोते को प्यार जताने लगती | तो तोता नाच जाता अपने पिंजड़े में |
शिखा का किसी को भी प्यार देते देख, कुत्ते की भौऊ-भौऊ और तोते की टेर तो देखते ही बनती थी |
मछली और खरगोश की भी उछल-कूद देख , शिखा समझने की कोशिश करने लगी थी अब कि कही त्रिकोणीय प्रेम की जगह षट्कोणीय प्रेम का एंगल तो नहीं बन रहा |....सविता मिश्रा

No comments: