Sunday 15 February 2015

~~इंसान ऐसा क्यों नहीं ~~

"बिट्टू बैंडेज लेता आ बेटा जल्दी से | सब्जी काटते वक्त चाक़ू से ऊँगली कट गयी |" जोर की आवाज लगायी मीरा ने
तभी एक कातर ध्वनी मीरा को विचलित कर गयी |
"ये कैसी आवाज है" कह जैसे ही मीरा ने भड़ से दरवाज़ा खोला
बिस्तर पर पड़ा मीरा का पति आवाज़े सुन सुन झल्ला गया |
" बंद कर दो खिड़की |सुबह-सुबह घर-बाहर चिल्लपो शुरू हो जाती है| " गुस्से से बोला
"बहुत मार्मिक ध्वनी है , अभी देखती हूँ किसकी है |"
"अरे छोड़ो न , तुम भी हर आव़ाज क्यों है, किसकी है, यही जानना चाहती हो |
ये पक्षी की आव़ाज है, इन्सान की नहीं | उसका साथी बिछड़ गया होगा या फिर मर गया होगा | हर जगह तो नंगे बिजली के तार लटक रहें है | बंद कर दो खिड़की-दरवाज़ा, आव़ाज नहीं आएगी | और कर भी क्या लोगी...सुन के.." झुंझलाहट में बोला
"कर तो कुछ नहीं पाऊँगी जी, पर उन्हें देख यह जरुर महसूस करना चाहती हूँ कि इंसान ऐसा क्यों नहीं ? " ...सविता मिश्रा

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