Saturday 7 February 2015

आशंका ~

"अरे बेबी! इतनी मंहगी ड्रेस फाड़ डाली कैसे फटी कुछ बताओगी?"
"माँ ! वो -वो ..!"
"क्या वो- वो लगा रक्खी हैदस साल की हो रही हैफिर भी शिशुओ-सी हरकत करती है |"
"माँ! वो..वो नीचे सोसायटी में ..!"
"क्या नीचे किसी ने तुझसे कुछ किया क्या कहीं टॉफी या चॉकलेट...?" घबराकर नीतू अपनी बेटी के पूरे शरीर पर बारीकी से नजर दौड़ाते हुए सवाल पर सवाल पूछती गयी |
"माँ ! माँ सुनो तो ....|" चॉकलेट वाला छुपाया हाथ दिखाकर कुछ कहने की कोशिश की तो माँ चॉकलेट देख परेशान-सी हो चीख पड़ी -
"क्या सुनू कहा था न मैंनेअकेले कहीं मत जाना कोई उठा ले ...|
घंटी बजी ! दरवाजा खोलते वक्त भी नीतू बच्ची को डांट ही रही थी टीवी का स्वर दब गया था उसकी आवाज़ से |
"अरे तू ! आज जल्दी आ गयी !"
"'बीबी जीउ आकर..."
"तेरा शराबी पति आया था..! कहीं वहीं तो कुछ ..!" सिर पर हाथ रख धम्म से सोफ़े पर बैठ गयी।
फिर चंद मिनट बाद बोली-- "देख मेरी बेटी को..!"
"गलती होई गयी ! माफ़ी ..!"
"क्या माफ़ी ..! पुलिस को फ़ोन करती हूँ मैं |"
"उ बीबी जी !सुनिए तो..! बेबी नीचे बच्चुवन के साथ मा छुक-छुक रेलगाड़ी खेलत रहीन उहीं में मोरी बिटिया से इनका फ्राक फटी गवा है मोरा मरद कछू न करो ..!" फ़ोन को पकड़कर डरती हुई कामवाली बोली।
"ओह ! मेरी तो जान हलक में अटक गयी थी इतनी देर से बस यह वो-वो कर रही थीकुछ और बताई ही नहीं |"
"मम्मी ! आप तो डांटती ही जा रही थीबात कहाँ सुन रही थी मेरीफ्राक फटने पर ऐसे रियेक्ट कर रही थी जैसे गेम में कपड़ेफटते ही नहीं हैं..|
"फटते हैं ! पर तेरे..!"
"भैया भी तो पिछले हफ्ते कबड्डी में शर्ट फाड़ के आये थेउन्हें तो आप ऐसे नहीं डांटी थी |"
"वोवो ...|"
"देखिए ! अब 'आपवो-वो कर रही हैं मुझे भी गुड टच और बैड टच के बारे में पता है अंकल ने तो बस प्यार से चॉकलेट दी थी |"तुनककर वह अपने कमरे में चली गयी |
माँ उठी और सावधान इण्डिया खटाक से बंदकर रिमोट गुस्से में पटक दी |
--००--
 
सविता मिश्रा 'अक्षजा'
नया लेखन में 2015

2 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 8-2-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1883 में दिया जाएगा
धन्यवाद

दिगम्बर नासवा said...

माँ को तो चिंता होना स्वाभाविक है ...
अच्छी कहानी ...