Sunday 27 September 2015

~पुरानी खाई -पीई हड्डी~

~चित्र आधारित लघुकथा ~

अस्त्र-शस्त्रों से लैस पुलिस की भारी भीड़ के बीच एक बिना जान-जहान के बूढ़े बाबा और दो औरतों को कचहरी गेट के अन्दर घुसते देख सुरक्षाकर्मी सकते में आ गए |

"अरे! ये गाँधी टोपीधारी कौन हैं ?"

"कोई क्रिमिनल तो न लागे, होता तो हथकड़ी होती |"
"पर, फिर इतने हथियारबंद पुलिसकर्मी कैसे-क्यों साथ हैं इसके ?" गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी आपस में फुसफूसा रहे थे |
एक ने आगे बढ़ एक पुलिसकर्मी से पूछ ही लिया, "क्या किया है इसने? इतना मरियल सा कोई बड़ा अपराध तो कर न सके है |"
"अरे इसके शरीर नहीं अक्ल और हिम्मत पर जाओ !! बड़ा पहुँचा हुआ है| पूरे गाँव को बरगलाकर आत्महत्या को उकसा रहा था |" सिपाही बोला
"अच्छा! लेकिन क्यों ?" सुरक्षाकर्मी ने पूछा
"खेती बर्बाद होने का मुआवज़ा दस-दस हजार लेने की जिद में दस दिन से धरने पर बैठा था | आज मुआवज़ा न मिलने पर इसने और इसकी बेटी,बीबी ने तो मिट्टी का तेल उड़ेल लिया था | मौके पर पुलिस बल पहले से मौजूद था अतः उठा लाए |"
"बूढ़े में इसके लिए जान कैसे आई ?" सुरक्षाकर्मी उसके मरियल से शरीर पर नज़र दौड़ाते हुए बोला|
"अरे जब भूखों मरने की नौबत आती है न तो मुर्दे से में भी जान आ जाती है, ये तो फिर भी पुरानी खाई -पीई हड्डी है |" व्यंग्य से कहते हुए दोनों फ़ोर्स के साथ आगे बढ़ गया |

"गाँधी टोपी में इतना दम, तो गाँधी में ..." सुरक्षाकर्मी बुदबुदाकर रह गया |

 सविता मिश्रा

Saturday 26 September 2015

मन में लड्डू फूटा (लघुकथा)

"भैया डीजल देना"
"कितना दे दूँ भाईसाब ?"
"अरे भैया गैलेन भर दो, देख ही रहे हो आजकल लाईट कितनी जा रही है| रोज-रोज दूकान के चक्कर कौन लगाये|"
"हा भाईसाब इस सरकार ने तो हद कर दी है|" जैसे उसके दुःख में खुद शामिल है दूकानदार|
उसके जाते ही वही दूकानदार आरती करते वक्त- "हे प्रभु अपनी कृपा यूँ ही बनाये रखना| यदि साल भर भी ऐसे ही सरकार को बुद्धि देते रहे तो बच्चे की पढ़ाई पूरी हो ही जायेगी प्रभु |"

Tuesday 15 September 2015

बदहाल हिंदी

सब जगह बस तू ही तू ....मेरा अस्तित्व तो बस किताबो में रह गया ...वहां भी तेरा ही घुसपैठ ..मेरी कराह कोई सुन कहाँ रहा...जो सुन रहा वो तेरी ही भाषा में बोल रहा....वेट ऐंड वाच या फिर टेक केयर कह निकल जा रहा..मेरे को बचाने कोई मसीहा आएगा क्या कभी!!!!
उम्मीद पर दुनिया कायम हैं और मैं भी...जल्दी आना वो मेरे मसीहैं ☺☺☺तेरी बदहाल हिंदी
सविता मिश्रा