Saturday 22 October 2016

~~ठंडा लहू ~~



हिंदी साहित्य डेढ़ सौ रूपये किलो का बैनर देख एक व्यक्ति दुकानदार से बोला "परशुराम जी की किताब मिलेगी क्या ?"
दुकानदार की आँखों में चमक आ गयी | हाँ साहब क्यों नही मिलेगी | उनकी किताब तो कई है मेरे पास| आपको कौन सी चाहिए ?"
'दूर के परिंदे' लघुकथा संग्रह ! और भी जो उनकी कथा संग्रह तीन-चार किलो भी हों जाए तो भी दे दो सब |"
"लगता है आप पढ़ने के शौकीन है लघुकथाओं तथा कहानियों के |"
"नहीं ऐसा कुछ नहीं है| मैंने सुना है वो शायद चल बसे | दसियों साल से किसी साहित्यिक कार्यक्रम या गोष्ठी में नहीं दिखे वह | आज की नई जनरेशन उनको भूल गयी हैं |"
"तो आप उनको पढ़-जानकर उन्हें खोजना चाहते है !" ख़ुशी चेहरे पर छुपाए न छुप रही थी | उनकी कथाओं का प्रचार कर उन्हें प्रसिद्धि दिलाना चाहते हो!" अनगिनत ख्बाब आँखों में जैसे पलने को आतुर हो उठे |
"तुम्हें क्या करना इससे? और हाँ ध्यान रहें ऐसे प्राकशक की तौलना जो हलके पेज वाली पुस्तक छापता हो | भले किसी और कथाकार की एक दो रखनी पड़े तराजू पर |"
थोड़ा मायूस हुआ दूकानदार कि सस्ते में भी और सस्ता माल चाहिए इन्हें | लगता हैं सच में मुझे कोई नहीं पढ़ना चाहता है|
"पर साहब आपको चाहिए क्यों ?" पैसा हाथ में लेता हुआ दूकानदार फिर चिहुँक कर पूछ बैठा | कान शायद सुनना चाहते थे कि कोई तो है जो परशुराम यानि मुझे पढ़ना चाहता है |
"बस उनकी कथाओं के कथ्य में हल्का फेरबदल कर अपनी लघुकथा संग्रह छपवाऊँगा| उनको इस जमाने के लोग जानते भी नहीं और न पढ़े ही है कभी उनकी कथाएँ |"
"तो आप कैसे जानते है उन्हें ?" रोष छुपाते हुए दूकानदार बोला |

"पिताजी कहते थे बहुत अच्छे लघुकथाकार थे वह | लिखना है तो उनकी कथाएँ गहराई से पढ़ो | आजकल तो तुम जानते ही हो सब ऐसे ही खेल चलता है| साहित्य बेचते-बेचते इतना अनुभव तो तुम्हें भी हो ही गया होगा | आखिर ये बाल धूप में तो सफेद नही ही हुए होंगे तुम्हारें|" व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ ग्राहक बोला |

"हाँ साहब,बस लहू न सफ़ेद हो रहा |"



चित्र पर आधारित लघुकथा..नया लेखन ग्रुप में विजेता बनी

4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

bahut khoob ... aaj ke halat pe tapsara ...

Digvijay Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

तहेदिल से आभार ..सादर नमस्ते ..आप दोनों जन को |

कविता रावत said...

वर्तमान हालातों पर सटीक व्यंग्य