Wednesday 10 May 2017

जद्दोजहद-

"क्या हो गया था यार तुझे?" फोन उठाते ही सवाल दागा गया।
"क्या हुआ मुझे!" अचकचा गयी इस सवाल से।
"अब तू छुपा नहीं मुझसे ..! तेरा वीडियो वायरल हो गया है।"
"कुछ नहीं यार वह..!"
"अरे तू तो हममें सबसे तेज तर्रार थी। ऐसे ही तुझे झांसी की रानी बुलाते थे क्या हम सब!"
"यार ऐसे लोगों से पाला नहीं पड़ा था न अब तक..!"
बीच में ही बात काटते हुए फोन की आवाज कानों में लगी- " हाँ पता है ! तू कुछ तो सुना रही थी। पर रोई क्यों, क्या कमजोर पड़ गयी थी..?"
"नहीं , नहीं ! कमजोर नहीं पड़ी थी।"
"वीडियो में दिख रहा है कि जैसे ही सर तेरी ढ़ाल बने, तू उनके पीछे खड़ी हो रो पड़ी!"
"मैं उसे कानून की भाषा में अच्छे से समझा देती। तू तो जानती है न, मैं कमजोर नहीं हूँ। बस दीवार की आत्मियता से भावुक हो गयी थी।" लरजती आवाज में कहा।
"अच्छा ख्याल रखना अपना। और जो ट्रेनिंग नहीं दी गयी तब, अब वो भी सीखना समझना शुरू कर दे।"
"हाँ सही कह रही तू, यह तो शुरुआत है! पर क्या करती औरत हूँ न।"
"अब भीतर की औरत को मार डाल, मेरे साथ भी एक छोटी सी घटना हुई थी। मैंने उसी क्षण अपने अंदर की औरत को खत्म कर दिया।" आवाज जैसे ही कानों में पड़ी दिमाग ने सोचा और फोन रखते ही ओंठ बुदबुदा उठे "सच में औरत को मरना ही पड़ता है!" सविता मिश्रा

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