Tuesday 13 February 2018

६) "आधुनिक हिंदी साहित्य --साझा-लघुकथा-संग्रह

प्रतियोगिता के अन्तर्गत 'शब्द निष्ठा सम्मान-2017' में मेरी लघुकथा 'सर्वधाम' ३५वें स्थान पर रही |"आधुनिक हिंदी साहित्य की चयनित लघुकथाएँ" साझा-लघुकथा-संग्रह--बोधि प्रकाशन |
सम्पादक- कीर्ति शर्मा 
विमोचन- अजमेर में अक्टूबर 2017 को |
--००--२०१७ में पुरस्कृत "सर्वधाम" नामक कथा प्रकाशित -
अच्छा लगता है, सपना जो कभी देखा ही नहीं, लेकिन वहीं फलित होने पर बड़ा सच्चा लगता है। बहुत बहुत शुक्रिया डॉ. अखिलेश पालरिया जी आपका।
यह हमारी अपनी कामयाबी की सीढ़ी का पहला पायदान भी कहा जा सकता है । 😊😊😊😊
सभी प्रकाशित लोगों को हार्दिक बधाई भी हमारी ओर से।  #शब्द निष्ठा #सम्मान😊😊😊😊👍


'शब्द निष्ठा सम्मान 2017' श्री अखिलेश पालरिया  द्वारा आयोजित 
आचार्य रत्नलाल 'विद्यानुग' स्मृति अखिल भारतीय लघुकथा  प्रतियोगिता में आयी 170 लघुकथाकारों की 850 कथाओं में से 110 चुनी गई कथाओं के बीच हमारी अपनी भी ३५वें नम्बर पर  "सर्वधाम" नामक लघुकथा को प्राप्त हुआ शब्दनिष्ठा सम्मान-2017।
शुक्रिया सभी जजों का । 

बुरा नहीं रहा फेसबुक का सफ़र। कुछ खरोंचे जरूर आयी कांटो की वजह से, तो खुशियां भी अपार मिली।
--००--

सर्वधाम 

"क्या चल रहा आजकल?" फोन उठाते ही जेठानी ने पूछा।
"अरे कुछ नहीं दीदी, घर अस्त-व्यस्त है उसे ही समेट रही थी। चारोधाम यात्रा करने चले गए थे न।"
"अच्छा! चारोधाम कर आयी और हमें भनक भी न लगने दी," तुनकते हुए बोली।
"नहीं दीदी ऐसी बात नहीं है!"
"कैसी बात है फिर? वैसे तो तुम कहती हो हर बात बताती हूँ, फिर इतनी बड़ी बात छुपा ली मुझसे! डर था क्या कि हम सब भी साथ हो लेंगे। साथ नहीं चाहती थी तो मना कर देती, छुपाया क्यों?"
"अरे दीदी सुनिए तो...।"
"क्या सुनूँ सुमन। मैं तो सब बात बताती हूँ, पर तुम छुपा जाती हो। अरे ख़र्चा हम भी दे देते। माना हम पाँच और तू चार है ..एक बच्चे का ख़र्चा सहने में तकलीफ़ थी तो बता देती। आगे से कहीं भी जायेंगे तो हम ज़्यादा दे देंगे समझी। मैं एहसान नहीं लेती किसी का।"
"अरे नहीं दी! सुनिए तो ..," फोन कट।
थोड़ी देर में सुमन फिर फ़ोन मिलाकर बोली- "दीदी ग़ुस्सा ठंडा हुआ हो तो सुनिए, आपसे पूछा था मैंने।"
"कब पूछा तुमने?" ग़ुस्से में बोली जेठानी।
"महीने भर पहले ही जब बात हुई थी तभी मैंने आपसे पूछा था कि आप अम्मा-बाबूजी के पास इस गर्मी की छुट्टी में गाँव चलेंगी।"
अब दूसरी तरफ शांति फैल गई थी।
--००--
सविता मिश्रा "अक्षजा'
 आगरा  
 2012.savita.mishra@gmail.com
(शब्द निष्ठा सम्मान-२०१७ में ३५ वें नम्बर पर सम्मानित)
यहां इस ग्रुप में लिखी  थी इसे .
29 February 2016 में ...
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